Saturday, 26 March 2016

नमकीन लस्सी


 
  गर्मी में दही के व्यंजन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। सामान्य रूप में दही के व्यंजन में रायता के बाद लस्सी का ही प्रमुख स्थान है। गर्मी के दिनों में लस्सी मन को तरावट देती है। यह हमारे लिए कई प्रकार से लाभदायक है। लस्सी भूख बढ़ाती है। पाचन शक्ति ठीक करती है। यह शरीर और हृदय बल देती है।
   गर्मियों में हम हमेशा ही लस्सी का प्रयोग करते हैं। हमेशा मीठी लस्सी लाभदायक नहीं होती। आज मैंने अपनी टेस्टफुल मेनू में नमकीन लस्सी रखा है। यह बनाने में बहुत ही आसान और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है।  आप भी कम-से-कम समय में नमकीन लस्सी बना कर अपने परिवार के स्वास्थ्य को सुदृढ़ रख सकती हैं। 


नमकीन लस्सी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री -
  • दही -  2 कप
  • पानी - 4 कप
  • काला नमक - 1/2 छोटा चम्मच
  • भुना जीरा - 1 चम्मच
  • चीनी बूरा - 4 चम्मच 
  • काली मिर्च पाउडर - 2 चुटकी
  • बर्फ के टुकड़े - 6-8 
  • नमक - इच्छानुसार 

नमकीन लस्सी कैसे बनाएँ ? 
  • सबसे पहले एक गहरे बर्तन में दही लें।  
  • उसमें चीनी बूरा, इच्छानुसार नमक, काला नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर मथ लें। 
  • अब पानी मिलाकर एक बार पुन: मथें। 
  • अब तवा को गर्म करके उसके ऊपर जीरा डाल कर भून लें। 
  • भूने जीरा को खरल में पीस लें। 
  • जीरे के पाउडर को दही में मिलाकर एक बार फिर हल्का मथ लें। 
  • अब आपकी टेस्टफुल मेनू के लिए नमकीन लस्सी तैयार है। 
  • इसे गिलास में निकाल कर बर्फ के टुकड़े डालें और परोसें। 
  • यह गुणकारी लस्सी सबको आनन्दित करेगी। 


विशेष -
  • नमकीन लस्सी बनाते समय ध्यान रखें कि दही ताजा जमा होना चाहिए। 
  • किसी भी लस्सी का सेवन मूर्छा, भ्रम, दाह, रक्तपित्त आदि विकारों में नहीं करना चाहिए। 
  • आप नमकीन लस्सी में जीरा की जगह आजवायन औरचीनी बूरा के स्थान पर  मिश्री भी डाल सकती हैं। 
  • जिन लोगों को खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है, उन्हें रोजाना नमकीन लस्सी पीना चाहिए। 
  • नमकीन लस्सी रोजाना पीने से एसीडिटी जड़ से साफ हो जाती है।
  • अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर नमकीन लस्सी का सेवन करें। 
  • लस्सी को रखने के लिए पीतल, ताँबे या काँसे के बर्तन का प्रयोग न करें।



  • इन धातुओं से बनने बर्तनों में रखने से लस्सी जहर समान हो जाएगा। 
  • लस्सी के लिए हमेशा काँच या मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करें।
  • दही को जमाने में मिट्टी से बने बर्तन का प्रयोग करना उत्तम रहता है।
  • तेज बुखार या बदन दर्द, जुकाम अथवा जोड़ों के दर्द में लस्सी नहीं लेना चाहिए।
  •  यदि कोई व्यक्ति बाहर से ज्यादा थक कर आया हो, तो तुरंत दही या लस्सी न दें। 
  • लस्सी कभी बासी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसकी खटास आँतों को नुकसान पहुंचाती है। 

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Wednesday, 23 March 2016

गुझिया : होली स्पेशल





    गुझिया मैदे और खोए से बनाया जाने वाला एक मीठा पकवान है। भारत में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में होली के अवसर पर लगभग हर घर में गुझिया बनाने की परंपरा है। गुझिया मुख्य रूप से दो तरह से बनाई जातीं है, एक- मावा भरी गुझिया, दूसरी रवा भरी गुझिया। मावा इलायची भरी गुझिया के ऊपर चीनी की एक परत चढ़ाकर वर्क लगाकर इसको एक नया रूप भी देते हैं। आज मैंने होली के अवसर अपनी टेस्टफुल मेनू में मावा और रवा दोनों को मिलाकर गुझिया बनाया है। 
गुझिया में भरने के लिए आवश्यक सामग्री -
  • मावा - 400 ग्राम,
  • सूजी - 100  ग्राम,
  • घी - 2 चम्मच,
  • चीनी का बूरा - 400 ग्राम,
  • काजू - १100 ग्राम (टुकड़े)
  • किशमिश - 100 ग्राम 
  • छोटी इलायची - 4-5 (छील कर कूट लें),
  • सूखा नारियल - 100 ग्राम (कद्दूकस किया हुआ)

गुझिया का आटा तैयार करने के लिये आवश्यक सामग्री  -
  • मैदा - 500 ग्राम,
  • घी - 50 ग्राम 
  • तेल - 500 ग्राम तलने के लिए 
  • गुझिया कैसे बनाएँ?
  • सबसे पहले गुझिया में भरने के लिए भारी तले की कढ़ाई में मावा को गुलाबी होने तक भूनें और एक बर्तन में निकाल लें। 
  • कढ़ाई में घी डाल कर सूजी को हल्का भूरा भून कर किसी दूसरे बरतन में निकाल लें। 
  • सूखे मेवे तैयार कर लें।  
  • मावा, सूजी, चीनी का बूरा और मेवों को अच्छी तरह मिला लें। 
  • अब आपकी टेस्टफुल मेनू की गुझिया में में भरने के लिये मिश्रण तैयार है।


  • अब गुझिया बनाने के लिए मैदा तैयार करें। 
  • मैदा को किसी बर्तन में छान कर निकाल लें। 
  • घी पिघला कर आटे में डाल लें और अच्छी तरह से मिलाएँ। 
  • अब पानी की सहायता से कड़ा आटा गूथ लें। 
  • आटे को कुछ देर  के लिए गीले कपड़े से ढककर रख दें। 
  • अब आटे को खोलें और मसलकर मुलायम कर लें। 
  • आटे से छोटी-छोटी लोई तोड़ कर बना लें।  
  • लोइयों को गीले कपड़े से ढककर रखें। 
  • एक लोई लेकर एक पूरी बेलें।
  • इसी तरह आप चाहें तो कई लोइयाँ बेल कर थाली में रख लें। 
  • बेल कर रखी हुई पूरियों में से एक पूरी उठाएँ और साँचे के ऊपर रखकर तैयार मिश्रण में से एक चम्मच पूरी के ऊपर डालें। 
  • अब किनारों पर उँगली के सहारे से पानी लगाएँ ताकि किनारे आपस में चिपक जाएँ। 
  • अब साँचे को बन्द कर के दबाएँ। 
  • साँचे के बाहर आयी अतिरिक्त मैदे को हटा लें। 
  • साँचे को खोलकर गुझिया निकाल कर थाली में रखें। 
  • इसी प्रकार कई गुझियाँ बनाने के बाद तलें। 
  • तलने के किये हमें हमेशा मोटे तले की कढ़ाई का इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • कढ़ाई में घी डाल कर गरम करें और गरम घी में 7-8 गुझिया डालकर गुलाबी होने तक तलें। 


अब पेट-पूजा और रंगों के पर्व होली के लिए आपकी टेस्टफुल मेनू में गुझिया तैयार है। 
आप भी खाएँ, सबको खिलाएँ और रंग-पर्व को और रंगीन बनाएँ। 
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Sunday, 20 March 2016

तुलसी-जल


   
    गर्मी का आगमन हो रहा है। लोग अधिक-से-अधिक लिक्विड लेना पसंद करते हैं। शीतल पेय की दुकानें बाजार में सजने लगी हैं। कई खुलासों से बार-बार पता चलता रहता है कि शीतल-पेय के नाम पर पता नहीं क्या-क्या बेंचा जा रहा है। आज मैंने अपनी टेस्टफुल मेनू में एक शीतल पेय रखा है। इस पेय के साथ बड़े आत्म-विश्वास से दावा किया जा सकता है कि आपको किसी भी प्रकार हानि नहीं, लाभ होगा।
    जी हाँ, आज मैंने अपनी टेस्टफुल मेनू में 'तुलसी-जल' रखा है। आप तो जानते ही है की भारतीय पृष्ठभूमि के परिवारों में बरसों से परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए। सभी धार्मिक-पौराणिक ग्रंथ-शास्त्रों में तुलसी को पवित्र, पूजनीय, शुद्ध और देवी स्वरूप माना गया है। तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप-नाशक व मोक्षदायक माना गया है। इतना ही नहीं, विज्ञान की दृष्टिकोण से भी तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय प्रयोगों का विशेष स्थान हैं। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है। हृदय रोग हो या सर्दी जुकाम, भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है। तुलसी के पत्तों का नियमित रूप से सेवन करने से अनेकानेक बीमारियाँ ठीक हो जाती है। मानसिक शांति देने वाले तुलसी के सेवन से स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास के रोग, ख़ून की कमी, खाँसी, जुकाम, दमा, दंत रोग, धवल रोग आदि में चमत्कारी लाभ मिलता है। तुलसी शरीर का शोधन करती है, वातावरण का शोधन करती है तथा पर्यावरण के साथ संतुलन बनाती है। 
    तुलसी प्रकृति की अनूठी देन है। इसकी जड़, तना, पत्तियां तथा बीज उपयोगी होते हैं। रासायनिक द्रव्यों एवं गुणों से भरपूर, मानव हितकारी तुलसी रूखी गर्म उत्तेजक, रक्त शोधक, कफ व शोधहर चर्म रोग निवारक एवं बलदायक होती है। तो आइये आज मैं गर्मी-स्पेशल 'तुलसी-जल' के विषय में बताऊँगी। 
तुलसी-जल के लिए आवश्यक सामग्री -
  • तुलसी का रस - 1 चम्मच (4-5 पत्तों का)
  • नींबू का रस - 1/2 चम्मच
  • बर्फ - 2-3 क्यूब 
  • जलजीरा - 1/2 चम्मच
  • साफ पानी - 1 गिलास 
  • नमक - स्वादानुसार 

तुलसी-जल कैसे बनाएँ?
  • सबसे पहले एक गिलास से थोड़ा कम स्वच्छ पानी लें। 
  • पानी में तैयार 1/2 चम्मच नींबू का रस डालें। 
  • अब 1/2 चम्मच जलजीरा डालें। 
  • स्वादानुसार नमक डाल लें। 
  • अब तुलसी के 4-5 पत्तों को पीसकर पहले से तैयार किया गया एक चम्मच तुलसी का रस डालें। 
  • अब सभी मिश्रण को मिला लें। 
  • मिलाने के बाद गिलास में  बर्फ का क्यूब डालें और पीने के लिए दें। 
  • अब आपकी टेस्टफुल मेनू के लिए एकदम कूल 'तुलसी-जल' तैयार है। 

विशेष - 
  • तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी गर्मी में इसे दही, छाछ या बर्फ के साथ लेना चाहिए। 
  • तुलसी-जल के सेवन के बाद कुछ देर तक दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है। 
  • तुलसी रस को शहद साथ में ना लें, क्योंकि गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है। 
  • तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है। 
  • तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्ला कर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को ख़राब कर देता है। 
  • लाभ की लालसा में तुलसी-जल एक बार में अधिक मात्रा में ना लें। 

                                               
 
                                                                     ----------------

Thursday, 10 March 2016

बाकला की सब्जी


    बाकला एक वार्षिक पौधा है, जो कि मीज़ो अमरीका और एंडीज़ पर्वत पर मूलतः उगता था। अब यह विश्व भर में उगाया जाता है। बाकला को विलायती सेम, बल्लर बाबरी के अतिरिक्त मराठी में श्रावण घेवड़ा तथा अंग्रेजी में कामन फ्रेंच या किडनी बीन्स कहते हैं। यह एक फली है जिसकी सब्जी बनती है। मूलतः यह एक दलहन है, लेकिन इसके हरी फली की स्वादिष्ट व शुद्ध देशी सब्जी बनती है। 
    बाकला की खेती रबी के मौसम में नम मिटटी में होता है। बाकला की ताजी फली की सब्जी से पुष्टि प्राप्त होती है। वैज्ञानिक इसे प्रोटीन का खजाना भी कहते हैं। कई जगह इसके सूखे और ताजे बीजों की भी सब्जी बनाई जाती है। इसका दाल भी स्वादिष्ट  तथा तो व्रतों में फलाहार के रूप में भी उपयोग करते हैं। पूरे विश्व में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में बाकला का स्थान चौथा है। 

    आज मैंने अपनी टेस्टफुल मेनू में बाकला की सब्जी रखा है। इस सब्जी की रेसिपी मैंने बदलते मौसम को देखकर रखा है। इस मार्च-अप्रैल के मौसम में मैंने इसे सरसों डालकर बनाया है। यह एक सुपाच्य और स्वादिष्ट रेसिपी है। 
बाकला की सब्जी के लिए आवश्यक सामग्री -
  • बाकला की फली - 200 ग्राम 
  • सरसों - 50 ग्राम (पेस्ट)
  • सरसों - 8-10 दाना 
  • लहसून - 5-6 कली 
  • हरी मिर्च - 2-3 
  • हल्दी पाउडर - 1/2 चम्मच 
  • तेल - 2 चम्मच 
  • नमक - स्वादानुसार 

बाकला की सब्जी कैसे बनाएँ?
  • बाकला की सब्जी बनाने के लिए सबसे पहले फली को साफ धो लें। 
  • अब फली के दोनों किनारों को तोड़ते हुए उसके रेशे निकालकर साफ कर लें। 
  • अब सब्जी में डालने के लिए मसाला तैयार करें। 
  • मसाला तैयार करने के लिए सबसे पहले मिक्सी में सरसों को पीसकर पेस्ट बनाएँ। 
  • अब उसी पेस्ट में हरी मिर्च और लहसून डालकर पुनः पेस्ट बनाएँ। 
  • अब कढा़ई में तेल गरम करके सरसों के 8-10 दाने डालकर चटकने दें। 
  • चटकने के बाद बाकला की फली को कढ़ाई में डालकर 2 मिनट भूनें। 

  • अब तैयार किए गए मसाले के पेस्ट को डालकर खूब चलाएँ। 
  • अब हल्दी-पाउडर और स्वादानुसार नमक डालकर मिला लें। 
  • मिलाने के बाद ढककर पकने दें तथा थोड़ी-थोड़ी देर पर चलाते रहें। 
  • 2-3 मिनट के बाद आधा कप पानी डालकर ढक दें तथा 5 मिनट पकने दें। 
  • अब आपकी टेस्टफुल मेनू के लिए शुद्ध देशी स्वाद से भरपूर बाकला की सब्जी तैयार है। 

   
इसे चाहें तो आप सूखा भी बना सकते हैं और एक नई सब्जी का आनंद ले सकते हैं।
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Tuesday, 8 March 2016

हरी मटर की दाल



हरी मटर की दाल जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में निमोना भी कहते हैं, एक लोकप्रिय दाल है। हरे मटर के दानों का खाने में भिन्न-भिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है, मगर इसके दाल की अलग ही बात है। आमतौर पर ये जाड़ों के मौसम में बनता है क्योंकि तब हरी मटर आसानी से उपलब्ध होती है। आज मैंने अपनी टेस्टफुल मेनू में हरी मटर की दाल रखी है। कभी आप भी बनाकर देखिए, खाने और खिलाने, दोनों में मज़ा आएगा। 

हरी मटर की दाल के लिए आवश्यक सामग्री -
  • हरी मटर के दाने - एक कप
  • तेल - 2-3 चम्मच 
  • टमाटर - 2
  • हरी मिर्च - 2
  • अदरक - 1 इंच लम्बा टुकड़ा
  • लहसून - 4-5 कली  
  • तेजपत्ता - 2-3
  • हींग - 1 पिंच
  • जीरा - 1/5 चम्मच
  • धनिया पाउडर - 1 छोटी चम्मच
  • लाल मिर्च पाउडर - 1/5 चम्मच
  • गरम मसाला - 1/5 चम्मच
  • नमक - स्वादानुसार 

हरी मटर की दाल कैसे बनाएँ?
  • सबसे पहले हरे मटर के दानों को अच्छे से धो लें। 
  • टमाटर को धो लें और उसे बडे़-बडे़ टुकडों में काट लें।  
  • हरी मिर्च का डंठल हटा लें और अदरक को छील कर इन्हें भी धो लें।  
  • टमाटर और हरी मिर्च को मिक्सी में डाल कर बारीक पीस लें।  
  • इसी तरह मटर को भी अलग से दरदरा पीस कर एक अलग प्याले में निकाल लें।  
  • अदरक और लहसून को बारीक काट लें। 

  • कढा़ई में तेल गरम करके तेजपत्ता, हींग और जीरा डाल लें। 
  • अब धनिया पाउडर, अदरक और टमाटर वाला पिसा हुआ पेस्ट डाल कर अच्छे से भूनें। 
  • अब आप मसाले को तेल छोड़ने या दानेदार होने तक भूनें। 
  • जब मसाला अच्छे से भुन जाए तो इसमें पिसे हुए मटर डालें और इसे चलाते हुए 3-4 मिनट तक भून लें।  
  • अब आप अपनी पसंद के अनुसार तरी के लिए पानी डाल लें। 
  • अब गरम मसाला, नमक और लाल मिर्च डाल कर मिलाएँ और सब्ज़ी में उबाल आने तक पकाएँ। 
  • जब दाल में उबाल आ जाए तो इसे 8-10 मिनट और पका कर गैस बंद कर दें।  

अब आपकी टेस्टफुल मेनू के लिए गरमागरम और स्वादिष्ट हरी मटर की दाल तैयार है। 

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Monday, 7 March 2016

बेर से कैसा बैर?


    आप सबको पता ही होगा कि बेर भारत का बहुत ही प्राचीन एंव लोकप्रिय फल है। यह विटामिन 'सी' व विटामिन 'बी' का अच्छा स्त्रोत है। इसमें कैल्शियम, लौह और शर्करा प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बेर के फल, पत्ती, वृक्ष की छाल, गोंद आदि में उच्च-कोटि का औषधीय गुण है। इसे भगवान शिव का प्रिय फल भी कहा जाता है। इसीलिए लोग महाशिवरात्रि की पूजा में प्रसाद के लिए चढ़ाते भी हैं, खाते भी हैं। आज मैंने भी अपनी टेस्टफुल मेनू में इस गुणों के खान बेर को रखा है। 
बेर के फायदे 
  • रोजाना बेर खाने से अस्थमा और मसूड़ों के घाव को भरने में मदद मिलती है। 
  • बेर खाने से खुश्की और थकान दूर होती है। 
  • बेर और नीम के पत्ते पीसकर सिर पर लगाने से बालों का झड़ना कम होता है।
  • बेर बहुत ही उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। 
  • बेर को अधिकतर लोग बचपन में तो बहुत पसंद करते हैं, लेकिन बड़े होने पर इसे नहीं खाते हैं। 
  • एक बड़ा कारण यह भी है कि लोग इसके गुणों से अनजान हैं। 
  • बेर में कार्बोज, प्रोटीन, वसा, थाईमिन, राईबोफ्लेविन, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस आदि पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। 
  • संतरे और नींबू की ही तरह बेर में भी प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। 
  • बेर में अन्य फलों के मुकाबले विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। 
  • बेर के सेवन से त्वचा लंबी उम्र तक जवान बनी रहती है। 

कैसे खाएँ बेर?
  • आयुर्वेद के अनुसार बेर हृदय के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। 
  • बेर खाने से बार-बार प्यास लगने की शिकायत नहीं रहती। 
  • बेर को सुखाकर और बारीक पीसकर बनाया गया सत्तू कफ व वायु दोषों का नाश करता है। 
  • बेर को नमक और काली मिर्च के साथ खाने से अपच की समस्या दूर होती है। 
  • बेर को छाछ के साथ लेने से घबराहट, उल्टी और पेटदर्द की समस्या में आराम मिलता है। 

तो आप भी शीतल, दस्तावर और पुष्टिकारक बेर को कभी-कभी अपनी टेस्टफुल मेनू का टेस्ट अवश्य बढ़ाएँ। हाँ, इतना अवश्य ध्यान रहे कि कच्चे बेर पित्तकारक और कफवर्धक होते हैं।
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Sunday, 6 March 2016

मटर का पराठा



    खाने की थाली में जब पराठा आता है तो सबकी रूचि ही बदल जाती है। पराठे का तो स्वाद ही कुछ अलग होता है। नाश्ता में तो सभी को पराठा खाना पसंद है। कोई गोभी, पनीर, मेथी का बनता है तो कोई ड्राई फ्रुटस का। रेसिपी बदलकर बनाये गए पराठे को बच्चें भी खाना पसंद करते है। आज मैं अपनी टेस्टफुल मेनू में मदर का पराठा रखी हूँ। इससे आपके घर के लोगों का टेस्ट चेंज होता तो रहेगा ही, साथ ही आप बच्चों के लंच में दे सकती है। मटर का पराठा खानें में बहुत स्वादिष्ट और स्वास्थ्य-वर्धक होता है। 

    हरी मटर में विटामिन के भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डियाँ मजबूत होती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है। मटर में लो कैलोरी और लो फैट होता है। हरी मटर में हाई फाइबर होता है जो वजन को बढ़ने से रोकता है। मटर शरीर में मौजूद आयरन, जिंक, मैगनीज और तांबा शरीर को बीमारियों से बचाता है। मटर में ऐसे स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक गुण होते है जो शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने नहीं देते। हरी मटर में एंटी-ऑक्सीडेंट, फ्लैवानॉइड्स, फाइटोन्यूटिंस, कैरोटिन पाए जाते हैं जो शरीर को यंग और एनर्जी से भरपूर रखते हैं।
आप भी अपनी टेस्टफुल मेनू में मटर का पराठा रखिए और अपने परिवार के स्वास्थ्य और स्वाद को बढ़ाइए। 

मटर का पराठा के लिए आवश्यक सामग्री -
(आटा तैयार कीजिये)
  • गेहूं का आटा - 400 ग्राम (2 कप)
  • घी - छोटे 2 चम्मच


(भरावन के लिए)
  • मटर दाना - 3 कप (उबला हुआ)
  • तेल - 2 चम्मच 
  • हींग - 1/2 चम्मच 
  • अदरक - 1/2 इंच (बारीक कटी हुई)
  • गरम मसाला - 1 चम्मच 
  • नींबू का रस - 2 चम्मच 
  • हरा धनिया - 1/4 कप (बारीक कटा हुआ)
  • हरी मिर्च - 2 (बारीक कटी हुई)
  • घी - पराठा सेकने के लिए 
  • नमक - स्वादानुसार


कैसे बनाएँ मटर का पराठा?
  • सबसे पहलें एक बडे बर्तन में आटा लें और उसमें मैदा, घी डाल कर अच्छी तरह मिलाकर गूँथ लें। 
  • अब गुंथे आटे को आधा ढक कर रख लें। 
  • एक कढाई में तेल गर्म करें। 
  • गर्म हो जाने के बाद उसमें अदरक, कटा हुआ हरी मिर्च और हींग डालकर भूनें। 
  • अब इसमें उबला मटर, गरम मसाला, लाल मिर्च पाउडर, नींबू का रस, धनिया डालकर अच्छी तरह से 2-3 मिनट तक पका लें। 
  • अब गैस बंद कर लें और इसे ठंडा होने दें। 
  • अब आटे की लोई तोड़कर पराठा बनाएँ तथा इसमें मटर का मिश्रण रखें। 
  • अब पराठे को बंद करके बेलन की सहायला से गोल आकार में बेल लें। 
  • बेले हुए पराठे को तवे पर डाल कर धीमी आँच पर दोनों ओर तेल या घी लगाकर सेंक लें। 
  • इस प्रकार सभी पराठे बना लें। 
   अब आपकी टेस्टफुल मेनू के लिए गरमा-गरम मटर का पराठा तैयार है। 
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