जी हाँ, आज मैंने अपनी टेस्टफुल मेनू में 'तुलसी-जल' रखा है। आप तो जानते ही है की भारतीय पृष्ठभूमि के परिवारों में बरसों से परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए। सभी धार्मिक-पौराणिक ग्रंथ-शास्त्रों में तुलसी को पवित्र, पूजनीय, शुद्ध और देवी स्वरूप माना गया है। तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप-नाशक व मोक्षदायक माना गया है। इतना ही नहीं, विज्ञान की दृष्टिकोण से भी तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय प्रयोगों का विशेष स्थान हैं। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है। हृदय रोग हो या सर्दी जुकाम, भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है। तुलसी के पत्तों का नियमित रूप से सेवन करने से अनेकानेक बीमारियाँ ठीक हो जाती है। मानसिक शांति देने वाले तुलसी के सेवन से स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास के रोग, ख़ून की कमी, खाँसी, जुकाम, दमा, दंत रोग, धवल रोग आदि में चमत्कारी लाभ मिलता है। तुलसी शरीर का शोधन करती है, वातावरण का शोधन करती है तथा पर्यावरण के साथ संतुलन बनाती है।
तुलसी प्रकृति की अनूठी देन है। इसकी जड़, तना, पत्तियां तथा बीज उपयोगी होते हैं। रासायनिक द्रव्यों एवं गुणों से भरपूर, मानव हितकारी तुलसी रूखी गर्म उत्तेजक, रक्त शोधक, कफ व शोधहर चर्म रोग निवारक एवं बलदायक होती है। तो आइये आज मैं गर्मी-स्पेशल 'तुलसी-जल' के विषय में बताऊँगी।
तुलसी-जल के लिए आवश्यक सामग्री -
- तुलसी का रस - 1 चम्मच (4-5 पत्तों का)
- नींबू का रस - 1/2 चम्मच
- बर्फ - 2-3 क्यूब
- जलजीरा - 1/2 चम्मच
- साफ पानी - 1 गिलास
- नमक - स्वादानुसार
तुलसी-जल कैसे बनाएँ?
- सबसे पहले एक गिलास से थोड़ा कम स्वच्छ पानी लें।
- पानी में तैयार 1/2 चम्मच नींबू का रस डालें।
- अब 1/2 चम्मच जलजीरा डालें।
- स्वादानुसार नमक डाल लें।
- अब तुलसी के 4-5 पत्तों को पीसकर पहले से तैयार किया गया एक चम्मच तुलसी का रस डालें।
- अब सभी मिश्रण को मिला लें।
- मिलाने के बाद गिलास में बर्फ का क्यूब डालें और पीने के लिए दें।
- अब आपकी टेस्टफुल मेनू के लिए एकदम कूल 'तुलसी-जल' तैयार है।
विशेष -
- तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी गर्मी में इसे दही, छाछ या बर्फ के साथ लेना चाहिए।
- तुलसी-जल के सेवन के बाद कुछ देर तक दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है।
- तुलसी रस को शहद साथ में ना लें, क्योंकि गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है।
- तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है।
- तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्ला कर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को ख़राब कर देता है।
- लाभ की लालसा में तुलसी-जल एक बार में अधिक मात्रा में ना लें।
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